Ishq Ki Garmi-E- Zazbaat Kise : Ghazal 1964 : Mohd. Rafi

2011-10-07 7

इश्क की गर्मिए, ज़ज्बात किसे पेश करू, ये सुलगते हुए, दिन रात किसे पेश करू :
عشق کی گرمے، ذجبات کسے پیش کرو، یہ سلگتے ہوئے، دن رات کسے پیش کرو