राम निर्गुण हैं, या सगुण? दोनों रास्तों पर एक साथ कैसे चलें? || आचार्य प्रशांत (2024)

2025-01-20 2

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वीडियो जानकारी: 07.07.24, अनौपचारिक सत्र, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ साकार की उपासना कैसे करें ?
~ मूर्त की उपासना अच्छी या अमूर्त की?
~ सगुण से निर्गुण तक कैसे जाएँ?

विवरण:
इस वीडियो में आचार्य प्रशांत सगुण और निर्गुण के बीच के संबंध को स्पष्ट करते हैं। वे बताते हैं कि सगुण द्वैत वह स्थान है जहां से हमारी यात्रा शुरू होती है, जबकि निर्गुण अद्वैत वह स्थान है जहां हमारी यात्रा समाप्त होती है। आचार्य जी का कहना है कि ये दोनों एक ही मार्ग के दो छोर हैं और इन्हें अलग नहीं किया जा सकता।

वे यह भी बताते हैं कि सगुण और निर्गुण के बीच कोई संघर्ष नहीं होना चाहिए, क्योंकि सगुण का अनुभव करते हुए ही हम निर्गुण की ओर बढ़ सकते हैं। आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि हमें द्वैत और अद्वैत दोनों को स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि द्वैत हमारी दैनिक वास्तविकता है और अद्वैत हमारी अंतिम सत्यता है।

आचार्य जी ने यह भी कहा कि जो लोग केवल निर्गुण की बात करते हैं, वे पाखंडी हो जाते हैं, क्योंकि वे सगुण के अनुभव को नकारते हैं। अंत में, उन्होंने यह बताया कि अद्वैत में सभी धाराओं के लिए जगह है और यह सभी को एक साथ लाने का माध्यम है।

संगीत: मिलिंद दाते
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