-चंद्रदेव के अध्र्य अर्पण के साथ ही होगा व्रत का पारण, संतान के दीर्घायु की होगी कामना-सौभाग्य, बालव करण योग के साथ फलदायी रहेगा संकष्टा चतुर्थी