जबलपुर, मध्य प्रदेश: नया साल शुरू होने के बाद हर भारतीय घर में नया कैलेंडर जरूर खरीदा जाता है। मध्य प्रदेश के जबलपुर के रामनारायण पंचांग कैंलेंडर ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना ली है। लाला रामस्वरूप रामनारायण एंड संस भारत का इकलौता ऐसा कैलेंडर है जो सबसे पुराना है। इसका प्रकाशन आजादी से भी पहले शुरू हुआ था। यह कैलेंडर अब भारत के कोने-कोने तक पहुंच रहा है। जिसका कामकाज अब परिवार की तीसरी पीढ़ी संभाल रही है। लाला रामस्वरूप रामनारायण एंड संस के संपादक प्रह्लाद अग्रवाल ने बताया कि मैं दूसरी पीढ़ी हूं जबकि मेरा बेटा अब भागदौड़ संभाल रहा है, जो की तीसरी पीढ़ी है। उन्होंने बताया कि 1934 से पंचांग की शुरुआत हुई थी। अंग्रेजों के शासन के दौरान अंग्रेजी कैलेंडर में हिंदी त्योहारों का कोई भी जिक्र नहीं होता था। जबकि हिंदी पंचांग संस्कृत भाषा में प्रकाशित होते थे जिन्हें समझना आम आदमी के लिए बेहद मुश्किल था। मेरे पिताजी अंग्रेजी कैलेंडर में सारी जानकारी अंकित कर रखा करते थे। जिसके बाद कैलेंडर प्रिंट करने की शुरुआत की थी।
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