आमजन को सरकारी कार्यालयों के चक्कर से निजात दिलाने की मंशा से गांव-शहरों में सरकार ने बड़ी तादाद में ई-मित्र खोले हैं। ई-मित्र केंद्रों पर काम तो हो रहे हैं, लेकिन व्यक्ति की मजबूरी देखकर मनमाने दामों पर। सही मायने में ई-मित्र अब लूट के केंद्र बन चुके हैं।
सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। किसी भी ई-मित्र पर सरकार की ओर से तय रेट लिस्ट नहीं लगी है। राजस्थान पत्रिका संवाददाता ने पाली शहर के आधा दर्जन ई-मित्र केंद्रों की पड़ताल की। इनमें से किसी भी जगह रेट लिस्ट नहीं थी। सरकारी रेट से कई गुना पैसा वसूला जा रहा था। पत्रिका संवाददाता आम व्यक्ति बनकर 6 ई-मित्रों पर पहुंचा, सभी जगह मनमाना रवैया नजर आया।