वीडियो जानकारी: 21.11.24, वेदांत संहिता, ग्रेटर नॉएडा
डॉक्टर की दवा नहीं, बाबाजी की बूटी चाहिए || आचार्य प्रशांत (2024)
📋Video Chapters:
00:00 - Intro
01:16 - डॉक्टरों पर हिंसा
03:06 - अंधविश्वास का प्रभाव
04:47 - चिकित्सा और जनसंख्या
06:06 - दुनिया की परिभाषा
11:01 - भूत-प्रेत और अंधविश्वास
13:28 - विज्ञान और अंधविश्वास
15:27 - जीवन की ज़िम्मेदारी
19:11 - अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता
21:40 - Existentialism, Nihilism, Absurdism
25:39 - Mysticism का मतलब
30:38 - समाज में बदलाव की आवश्यकता
33:08 - समापन
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य प्रशांत बेंगलुरु की उद्यमी विनीता के प्रश्न का उत्तर देते हैं, जो India में doctors के खिलाफ violence पर आधारित है। आचार्य जी traditional healers जैसे नीम हकीम और spiritual gurus के प्रति श्रद्धा की तुलना योग्य medical professionals के प्रति आक्रामक रवैये से करते हैं। वे बताते हैं कि यह विरोधाभास एक गहरे विश्वास से उपजता है, जो एक उच्च शक्ति को सभी परिणामों के लिए जिम्मेदार ठहराता है और व्यक्तिगत जिम्मेदारी को कमजोर करता है।
आचार्य जी तर्क देते हैं कि सच्चे समाधान मानव प्रयास और scientific progress में निहित हैं, न कि किसी दिव्य हस्तक्षेप में। वे superstitions और मिथकों पर भरोसा करने की प्रवृत्ति की आलोचना करते हैं, जो प्रगति में बाधा डालती है। उन्होंने चिकित्सा पेशेवरों के कठिन परिश्रम और अनुसंधान को सम्मान देने की आवश्यकता पर बल दिया और मानसिकता में बदलाव लाने का आह्वान किया।
वीडियो के अंत में, आचार्य जी सच्ची spirituality को खुद को समझने और अपने कर्मों की जिम्मेदारी लेने के रूप में परिभाषित करते हैं, न कि किसी बाहरी उद्धारकर्ता पर निर्भर रहने के रूप में। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी एजेंसी को पहचानें और अपने जीवन व समाज को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाएं।
यह संवाद व्यक्तिगत जिम्मेदारी, scientific thinking, और spirituality के गहरे अर्थों पर केंद्रित है।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06