सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी सांसदों की लगातार नारेबाजी के बीच संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही लगातार पांचवें दिन दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. अडाणी मुद्दे और मणिपुर और संभल में हिंसा को लेकर विपक्षी दलों के विरोध के बीच शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही संसद की कार्यवाही ठप है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सभी विपक्षी दल चर्चा करना चाहते हैं. थरूर ने कहा कि लंबित मुद्दों में से एक संविधान के 75वें वर्ष पर बहस का अनुरोध है और अगर सरकार इसे चलाती है तो संसद चलेगी. हमने पहले भी कई वर्षगांठों पर बहस की है...सरकार को संसद को चलाने के लिए विपक्ष के साथ सहयोग करना चाहिए.
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस सदन चलाने के लिए तैयार है लेकिन सरकार को कुछ मुद्दों पर चर्चा की उनकी मांगों पर सहमत होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम पहले ही स्पीकर से मिल चुके हैं और हमारी एकमात्र मांग यह है कि उन्हें सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए कार्रवाई करनी होगी. हम सदन चलाने के लिए तैयार हैं, बशर्ते संविधान पर चर्चा हो, जिसका वादा उन्होंने हमसे किया था.
टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी सत्ताधारी पार्टी की है. सदन चलना चाहिए. टीएमसी के पास राज्य से जुड़े मुद्दों सहित कई बाध्यकारी मुद्दे हैं. हमारे पास बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि, उर्वरक के मुद्दे हैं. अडाणी मुद्दे पर कार्य सलाहकार समिति में चर्चा होनी चाहिए. सदन को चलाना सुनिश्चित करना प्रमुख सत्ताधारी पार्टी की जिम्मेदारी है. यह भाजपा सरकार सदन चलाने में रुचि नहीं रखती है.
विपक्षी सदस्य लगातार अडाणी मुद्दे, संभल हिंसा और मणिपुर की स्थिति पर चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं और संसद में नारेबाजी कर रहे हैं. शीतकालीन संसद का पहला सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ था, जिसमें व्यवधानों के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही काफी पहले ही स्थगित कर दी गई थी. शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा.