राजसमंद: शुक्रवार को राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर राजसमंद वृत के समस्त कर्मचारी एवं अधिकारी सड़कों पर उतरे। ये सभी निजीकरण के विरोध में और ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) की कटौती को वापस लेने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए। विरोध का केंद्र बिंदु था, प्रदेश में निजीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति और कर्मचारियों के पेंशन अधिकारों में कटौती।
धरना-प्रदर्शन के बाद, कर्मचारियों ने अतिरिक्त जिला कलक्टर को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने निजीकरण के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। ज्ञापन में यह बताया गया कि प्रदेश के तीनों डिस्कॉम में अधिकांश कार्य आउटसोर्सिंग के तहत किए जा रहे हैं, जिनमें एफआरटी ठेके और सीएलआरसी जैसे नाम शामिल हैं। अब, 33/11 केवी ग्रिड के फीडर सेग्रिगेशन और सोलराइजेशन के नाम पर ये काम निजी हाथों में दिए जा रहे हैं, जो ग्रिड सेफ्टी कॉड का उल्लंघन है।
साथ ही, कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रसारण निगम, जो वर्षों से लाभकारी संस्था रहा है, अब अपने ग्रिड संचालन को ठेके पर दे रहा है। इस मॉडल के तहत 765 केवी और 400 केवी ग्रिड सब-स्टेशनों से प्राप्त आय को निजी कंपनियों में बांटने की योजना बनाई जा रही है, जिससे निगम को आर्थिक नुकसान हो सकता है।
कर्मचारियों ने अपनी दूसरी प्रमुख मांग पर भी ध्यान आकर्षित किया, जो पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली और नियोक्ता अंशदान के रूप में सीपीएफ कटौती को बंद करने की थी। उनका कहना था कि जब तक ओपीएस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते, वे अपना विरोध जारी रखेंगे।
धरने में राजसमंद जिले के सभी कर्मचारी और अधिकारी शामिल थे, जिनमें चन्द्र मोहन सोलंकी, सीताराम शर्मा, नारायण सिंह, सत्यवीर सिंह, भरत यादव, जीवाराम रेबारी, नितेश लोधा, यजुवेन्द्र सिंह गौरव, जीवन सिंह, तुहीराम शर्मा, नीरव वोरा सहित अन्य प्रमुख नाम थे।
कर्मचारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो वे विद्युत प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ लोकतांत्रिक श्रमिक आंदोलन जारी रखेंगे, जो न केवल कर्मचारियों बल्कि पूरे उद्योग और देश के हित में होगा।