किसकी सेवा में लगा रखी है बुद्धि? || आचार्य प्रशांत, उत्तर गीता पर (2020)

2024-11-07 0

वीडियो जानकारी: 04.01.2020, विश्रांति शिविर, पुणे, महाराष्ट्र, भारत

प्रसंग:
संयत: सततं युक्त आत्मवान विजितेन्द्रिय:।
तथा य आत्मनात्मानं सम्पृयक्त: पृपश्यति।।
(श्लोक 20, अध्याय 4, श्री उत्तर गीता)

भावार्थ: जो साधक सदा संयमपरायण योगयुक्त, मन को वश में करनेवाला और जितेन्द्रिय है, वही आत्मा से प्रेरित होकर बुद्धि के द्वारा उसका साक्षात्कार कर सकता है।

~ क्या बुद्धि के द्वारा आत्मा का साक्षात्कार हो सकता है?
~ बुद्धि को किसकी सेवा में लगाना चाहिए?
~ आत्मा का साक्षात्कार कैसे हो?
~ संसार में प्राप्ति का अर्थ क्या?
~ प्रत्यक्ष माने क्या?


संगीत: मिलिंद दाते
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