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वीडियो जानकारी: 29.03.24 , गीता समागम , ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः।
अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ।।
~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 4, श्लोक 17
कुछ किया कुछ हो गया
मैं कौन हूं मैं करूं क्या
उत्तर ये कि बस जान लो
कर्ता कौन है कर्म है क्या!
~ आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ
अर्थ:
कर्म जानने की बात है और विकर्म भी और अकर्म भी। इनको जानो। जानो और ध्यान से सुनना, कर्म के बारे में समझना आसान नहीं।
~ मनुष्य अपने जीवन के मूलभूत प्रश्नों का उत्तर कहाँ खोजे?
~ सही कर्म का निर्धारण कैसे करें?
~ मनुष्य की मूल समस्या क्या है?
~ कामना और नरक में क्या संबंध है?
~ जीव का जगत से कैसा रिश्ता होना चाहिए?
संगीत: मिलिंद दाते
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