बताओ क्या चाहिए - पैसा, ताकत, सुख, सेक्स? || आचार्य प्रशांत (2024)

2024-08-28 3

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वीडियो जानकारी: 23.05.24, वेदान्त संहिता, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
कठोपनिषद, श्लोक 1.1.24

एतत्तुल्यं यदि मन्यसे वरं वृणीष्व वित्तं चिरजीविकां च।
महाभूमौ नचिकेतस्त्वमेधि कामानां त्वा कामभाजं करोमि ॥ २४ ॥

अन्वय:
नचिकेतः= हे नचिकेता; वित्तम् चिरजीविकाम् = धन, सम्पत्ति और अनन्तकाल तक जीने के साधनों को; यदि त्वम् = यदि तुम; एतत्तुल्यम् = इस आत्मज्ञानविषयक वरदान के समान; वरम् मन्यसे वृणीष्व = वर मानते हो तो माँग लो; च महाभूमौ = और तुम इस पृथ्वीलोक में; एधि = बड़े भारी सम्राट् बन जाओ; त्वा कामानाम् = (मैं) तुम्हें सम्पूर्ण भोगों में से; कामभाजम् = अति उत्तम भोगों को भोगने वाला; करोमि = बना देता हूँ ॥२४॥

अर्थ:
हे नचिकेता! इस वर की तरह यदि कोई अन्य वर तुम्हारी दृष्टि में हो, तो उसे मुझसे माँग लो। धन-सम्पदा तथा अनन्तकाल के निमित्त उपयोगी सुख-साधनों (चिरस्थायी आजीविका) को माँग लो। हे नचिकेता! तुम इस विस्तृत पृथ्वीलोक पर वृद्धि प्राप्त करो। हम तुमको कामनाओं (भोगों) का इच्छानुकूल उपभोग करने वाला बना देते हैं।

~ गुरुतत्त्व क्या है? उसका स्वभाव क्या है?
~ गुरु कौन है?
~ ज्ञान से वंचित रहना किसका काम है?
~ वास्तविक रूप में गुरु माने क्या?
~ आत्मज्ञान क्या है?
~ आत्मज्ञ कौन है?
~ आत्मविद्या क्या है?
~ रिश्ता कब रौनक पा जाता है, ऊंचाई पा जाता है, खुशबू पा जाता है?
~ कौन बाहर गुलामों की ज़िंदगी जिएगा?
~ क्यों संस्था जो काम कर रही है वो इतिहास में पहली बार हो रहा है?


संगीत: मिलिंद दाते
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