प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने बयान देते हुए कहा था कि देश की संसद में धर्माचार्यों, साधु-संतों का होना बहुत जरूरी है। आईएएनएस से बातचीत में अपने इस बयान का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में राजाओं के सदन में हमेशा से धर्माचार्य और विद्वान लोग रहे हैं। जिन्होंने उस राजा और सभी को ऐसी दिशा दी है जिससे देश हमेशा विश्वगुरु कहा है। मेरा कोई निजी स्वार्थ नहीं है, मेरी राजनीति में दिलचस्पी नहीं है लेकिन मेरी दिलचस्पी मेरे देश की सुरक्षा में है। कोई भी बंगाल, बांग्लादेश जैसी हरकत मेरे देश में न हो सके उसके लिए कानून बनाने के लिए धर्माचार्यों का सदन में होना जरूरी है।
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