वक़्फ़ बोर्ड अमेंडमेंट बिल के सवाल पर मुस्लिम स्कॉलर असगर अली इमाम मेंहदी ने कहा, हम समझते हैं कि यह बिल धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। जिस तरह गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और मंदिर ट्रस्ट धार्मिक संस्थान हैं, वैसे ही वक्फ बोर्ड भी मुसलमानों का एक धार्मिक संस्थान है। इस बिल के माध्यम से सरकार अत्यधिक हस्तक्षेप कर रही है। दूसरी बात, इसमें अत्यधिक केंद्रीकरण है। एक लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और स्वायत्त संस्थान आवश्यक हैं। तीसरी बात, इस बिल ने वक्फ बोर्ड की आंतरिक लोकतंत्र को समाप्त कर दिया है। जहां चुनाव होने थे, वहां चुनावों को हटाकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा नामित प्रतिनिधियों को नियुक्त किया जाएगा। अगर हम लोकतंत्र के सिद्धांतों को मानते हैं, तो हर चीज को सरकार द्वारा नामित करने का विचार लोकतंत्र को कमजोर करेगा। ये तीनों बातें हमें इस बिल के खतरनाक प्रभावों की ओर इशारा करती हैं।
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