मैं तो सो रही थी, बाँह पकड़ मुझे जगाया क्यों? || आचार्य प्रशांत, संत कबीर साहब पर (2023)

2024-08-19 3

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वीडियो जानकारी: 28.05.23, संत सरिता, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
तोहि मोहि लगन लगाय रे फकीरवा
तोहि मोहि लगन लगाय रे फकीरवा सोबत ही मैं अपने मंदिर में
सबि बान मार जगाये रे फकीरवा डूबत ही मैं भवके सागर में
बहियां पकर समुझाये रे फकीरवा एकै बचन बचन नहीं दूजा
तुम मोसे बंध छुड़ाए रे फकीरवा
कबीर सुनो भाई साधो
प्राणन प्राण लगाये रे फकीरवा

ओ फकीर! तूने मुझमें प्रेम जगा दिया है।
मैं तो अपनी शांत जगह पर सोई पड़ी थी
तूने सच्चे शब्दों के बाण मारकर मुझे जगा दिया
मैं तो संसार सागर में डूब ही गई थी
पर तूने मुझे बाँह पकड़कर समझाया
तुमने मुझे वो एक बात बताई जो बाकी सब बातों से मुक्त कर देती है
तुमने मुझे बंधनों से छुटा दिया, रे फकीर!
कबीर साहब कहिे हैं, सुनो साधुजन,
फकीर ने मेरे प्राणो में प्राण डाल तदए।

संगीत: मिलिंद दाते
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