परशुरामजी को विष्णुजी का छठा अवतार माना जाता है पर क्या आप जानते हैं कि परशुराम जन्म से अवतार नही थे बल्कि ये पद उन्होंने अपने तप से प्राप्त किया था।
ये जानकारी हमे मिलती है ब्रह्माण्डपुराण मध्यभाग अध्याय 37 श्लोक 29 से।
इसके अनुसार परशुरामजी के तप से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण जी ने उन्हें वरदान दिया
"आज से लेके इस संसार में आप मेरे अंश के आवेश से युक्त हो गए हो, अब यथाकाल तक कर्ता, हर्ता और स्वयं प्रभु होकर विचरण करोगे।"
ये केवल सनातन धर्म ही है जिसमे तप और कर्म द्वारा भगवान जैसा पद भी पाया जा सकता है।
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