बिहार में इस साल से सभी जमीन रिकॉर्ड्स डिजिटल करने की तैयारी राजस्व और भूमि सुधार विभाग की ओर से की जा रही है। इसको लेकर भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि 1890 में अंग्रेजों के समय में सबसे पहले सर्वे की शुरुआत हुई थी लेकिन एक साल बाद भी सर्वे पूरा नहीं हुआ फिर 1990 में ट्रेडिशनल सर्वे की शुरुआत हुई। 30 साल तक सर्वे चला लेकिन सारे जमीनी विवाद अधूरे रह गए। इसका कारण यह रहा कि उस समय जो सरकार थी उसकी कार्यक्षमता के कारण ये सर्वे अधूरा रह गया। अब 130 साल के इतिहास में बिहार में ये तीसरा सर्वे नीतीश कुमार के नेतृत्व में शुरू किया गया है। सबसे पहले रीविजनल सर्वे शुरू किया गया। अब 10,000 कर्मचारी हमने दिए हैं। जो विशेष सर्वे का काम हम लोग करने जा रहे हैं। जब सर्वे का काम पूरा हो जाएगा तब डिजिटल माध्यम से जमीन के सारे दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। 60% मामला इस विवाद का होता है। यह बहुत बड़ी चुनौती है हमने इस चुनौती को अवसर के रूप में स्वीकार किया है।
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