हेपेटाइटस: साढ़े सात हजार जांचें, 95 मिले पॉजिटिव

2024-07-02 36

प्रतापगढ़. जिले में गत चार वर्षों से जहां हेपेटाइटस की जांच होने लगी है। वहीं इसके मामले भी बढऩे लगे है। इससे चिकित्सा विभाग सतर्क हो गया है। इससे यहां जांच और उपचार की सुविधा भी बढ़ा दी गई है। गौरतलब है कि यहां जिला चिकित्सालय में हो रही जांचों में यह चौकाने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। हालांकि चिकित्सा सूत्रों के अनुसार गत चार वर्ष से यह जांच शुरू की गई है। ऐसे में इस रोग की पहचान और पुष्टि हो रही है। वहीं जिले के रोगियों को समय पर उपचार भी मिल रहा है। इस वर्ष जून तक साढ़ेे सात हजार लोगों की जांच की गर्ई। जिसमें 95 रोगी पॉजिटिव पाए गए। ऐसे में यहां आने वाले जिन रोगियों में रोग की आशंका होती है, उनकी जांच की जा रही है।
वायरल लोड टेस्ट
वायरल लोड जांच का उपयोग सक्रिय हेपेटाइटिस सी संक्रमण की पुष्टि करने के लिए किया जाता है। उपचार के दौरान प्रतिक्रिया निर्धारित करने में मदद के लिए भी किया जाता है। यदि उपचार शुरू करते समय आपके रक्त में वायरस का स्तर कम है, तो आपके पास वायरस से छुटकारा पाने की बेहतर संभावना हो सकती है।

जिला चिकित्सालय में मिले मरीजों के आंकड़े
वर्ष जांच पॉजिटिव
2021 8456 31
2022 11876 192
2023 16331 199
2024 7536 95

आंकड़े जिला चिकित्सालय में लैब टेस्ट के अनुसार, वर्ष 2024 के जून तक

कई तरह की होती हैं ये बीमारी
हेपेटाइटिस क्लीनिक प्रभारी डॉ दिलीपकुमार ने बताया कि हेपेटाइटिस मूलरूप से पांच प्रकार का होता है। ए, बी, सी, डी और ई। हेपेटाइटिस डी डेल्टा वायरस है, जो बी के साथ ही मिलता है। हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण प्रदूषित खाद्य पदार्थों और दूषित पानी पीने से होता है।
हेपेटाइटिस के लक्षण और उपाय
विशेषज्ञों के अनुसार हेपेटाइटिस के प्राथमिक लक्षण नहीं हैं। केवल ब्लड टेस्ट के आधार पर पता किया जा सकता है कि हेपेटाइटिस है या नहीं। हेपेटाइटिस ए और ई के लक्षण 15-30 दिनों के भीतर दिखाई देने शुरू होते हैं तो हेपेटाइटिस बी के लक्षण अंतिम समय में सामने आते हैं।
ये रहते हैं लक्षण और कारण
इस बीमारी में मरीज को भूख नहीं लगती है। कमजोरी, सिर दर्द, हल्का बुखार सहित सामान्य लक्षण ही इसके रहते हैं। हेपेटाइटिस संक्रमित रक्त सीरिंज, संक्रमित रक्त का शरीर से संपर्क में आना। ब्लड ट्रांसफ्यूजन से भी होने की आशंका है।
यह हो सकता हैं समाधान
इस बीमारी में समय पर डायग्नोस होना आवश्यक है। बीमारी का पता चलने पर उपचार लेते रहना ही समाधान है। नियमित चिकित्सकीय सलाह भी इसमें जरूरी है।

की जा रही हैं जांच और उपचार
यहां जिला चिकित्सालय में गत चार वर्षों से हेपेटाइटिस की जांच और उपचार की जा रही है। जिसमें यहां आने वाले जिन रोगियों में इसके लक्षण दिखाई देते हैं। उनकी जांच की जाती है। इसके बाद उपचार किया जा रहा है। इसके साथ ही हेपेटाइटिस बी का टीका भी लगाया जाता है।

डॉ. ओ पी दायमा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, प्रतापगढ़.

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