बीते साल संसद भवन में स्थापित किया गया सेंगोल एक बार फिर चर्चाओं में है। समाजवादी पार्टी के सांसद ने इसे लोकसभा से हटाने की मांग की है। सपा की इस मांग पर बीजेपी हमलावर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने सेंगोल के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये सेंगोल धर्मदण्ड है। जब चोल वंश के समय में सत्ता परिवर्तन होता था तब की ये परंपरा है। इसका मतलब है सत्ता का लोकतांत्रिक हस्तांतरण और ये सेंगोल उस धार्मिक मर्यादा का परिचय था जिसे आपको फॉलो करना है, राजा हो या प्रधानमंत्री हो। एक तरफ खुलेआम परिवारवाद को स्वीकार करते हैं और भारत की परंपरा से परेशानी है। ऐसे लोगों से मैं पूछना चाहता हूं कि जो अशोक स्तंभ है जो भारत का शासकीय प्रतीक है। ये तो महाराजा अशोक के समय का स्तंभ है जो बाद में एक बौद्ध राजा बने तो क्या उसको भी हटा दिया जाए ?
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