ले ले पनाहों में साजन, कहीं रात ढल ना जाए।
इस तेरी जुस्तजू में, कहीं दम निकल ना जाए।।
चाहा तुझको दिल ने, तू लौट के ना आया,
चाहत जगा के भी हमने उल्फत को ना पाया।
जैसे बदलता है मौसम तेरा दिल बदल ना जाए,
इस तेरी जुस्तजू में, कहीं दम निकल ना जाए।।
रातों के काले साए, हैं पल पल मुझे डराएं,
लगती अब तो बेगानी सी हमको ये सराय।
जिंदगी ये रेत की तरह, हाथों से फिसल ना जाए,
इस तेरी जुस्तजू में, कहीं दम निकल ना जाए।।
मेरे दिल की धड़कनें ये, बेचैन हो रही हैं,
तेरी आरजू में अपना ये चैन खो रही हैं।
ये बेबसी हमारी कहीं खुशियां निगल ना जाए,
इस तेरी जुस्तजू में, कहीं दम निकल ना जाए।।
#Lyrics_Amit_Alok