चुनावी चंदे का भांडा फोड़ | Electoral Bond details out
आख़िरकार SBI और चुनाव आयोग के तहख़ाने से वो रिपोर्ट बाहर आ ही गई जिसे छिपाने की बार बार कोशिश हुई। फ़िलहाल सारी जानकारी बाहर नहीं आई है मगर सुप्रीम कोर्ट ने SBI को कहा है कि बॉन्ड के नम्बर भी जारी करे ताकि मिलान हो सके। पत्रकारों ने दानदाताओं की सूचि की छानबीन कर यह खोज निकाला है कि जिन कंपनियों ने अधिकतम चंदा दिया उनमें से आधी पर जाँच एजेंसियों द्वारा छापेमारी की गई थी। ऐसी कंपनियाँ भी मिली हैं जिनका मुनाफ़ा था 10 करोड़ लेकिन चंदा दिया 185 करोड़ का। चुनावी चंदे से भाजपा को सभी पार्टियों से कहीं अधिक चंदा मिला है। पारदर्शिता के नाम पर लाए गए क़ानून ने सालों आपसे बहुत कुछ छिपाया लेकिन कुछ पत्रकारों की मेहनत का नतीजा है कि सच सामने आ रहा है। क्या आपको नज़र नहीं आ रहा है? क्या अंकिलों के चक्कर में आपने आपना दिमाग बिल्कुल बंद कर दिया है? ध्यान से देखिएगा कि आपके इर्द गिर्द किस अख़बार और किस न्यूज़ चैनल ने इस मामले पर विस्तृत चर्चा की है। हमारे चैनल पर इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा यह आठवाँ एपिसोड है।