हमेशा दूसरों का भला करने के बावजूद मुझे ज़िंदगी में दुःख मिलता है और दूसरे मज़े करते हैं। क्यों मेरी ज़िंदगी से दुःख और असफलता दूर होने का नाम ही नहीं लेते? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?