लोक संस्कृति की छठा बिखेरते चलते लोक कलाकार, नखराळी म्हारी बूंदी...,आछी आई र बूंदी की तीजा....,केसरिया बालम आओ न पधारो...सरीखे गीतों पर थिरकते लोक कलाकार और घोडिय़ा।