जिस प्रकार त्रेता युग में श्रवण कुमार ने अपने अन्धे माता-पिता की इच्छा के अनुरूप उनको कावड़ में बिठाकर तीर्थ यात्रा करवाई और एक आदर्श पुत्र की मिसाल पेश की।