मध्य कालीन वैष्णव सम्प्रदाय के इस पूर्व मुखी मंदिर का निर्माण सवाई जगत सिंह की महारानी चांपावत जी ने विक्रम संवत 1824 में अपने बटुआ खर्च से करवाया था।