अभियान का नेतृत्व कर रहे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि मां गंगा सहित अन्य गंगा की सहायक नदियों में लोग अपने घर की बासी पूजा सामग्री, साड़ियां / कपड़े, ईश्वर की पुरानी तस्वीर भी डाल देते हैं। यह गंगा की पूजा है या उस पर अत्याचार ? वस्तुतः नदी की पूजा का अर्थ केवल घंटा बजाना नहीं, वरन उसकी सफाई है...
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