संध्यावंदन, योग, ध्यान, तंत्र, ज्ञान, कर्म के अलावा भक्ति भी मुक्ति का एक मार्ग है। भक्ति भी कई प्रकार ही होती है। इसमें श्रवण, भजन-कीर्तन, नाम जप-स्मरण, मंत्र जप, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य, पूजा-आरती, प्रार्थना, सत्संग आदि शामिल हैं। इसे नवधा भक्ति कहते हैं। लेकिन हम आपको बताएंगे गीता में उल्लेखित चार तरह के भक्तों के बारे में।