अलवर की मिठास सिर्फ कलाकंद ही नहीं बल्कि गजक भी है। सर्दी में गज़क की काफी मांग रहती है। शहर में सर्दी की आहट के साथ ही गजक बनना शुरू हो गयी है। गजक बनाने से पूर्व कारीगर इस तरह गुड़ की खिंचाई करते है। उसके बाद तिल मिलाकर गुड़ की कुटाई होती फिर जा कर होती तैयार गजक ।