In Jitiya, the fast is kept for the prosperity of the children, the rules are started from the day of Saptami i.e. bathing. Before starting this fast, food and drink in different regions have their own regional tradition. It is believed that by consuming these things the fast becomes auspicious and successful. Jitiya's fast is observed for the happiness and long wishes of the child. Many people observe this fast in Uttar Pradesh, Bihar including Mitlanchal, Purvanchal and Nepal. There is a tradition of eating fish on the day of Nahay Khay, a day before Jitiya Vrat. Eating fish Although non-vegetarian food is considered taboo during worship, but in many areas of Bihar, such as in Mithilanchal, the fasting of Jitiya Vrat is started by eating fish.
संतान की खुशहाली के लिए रखे जाने वाले व्रत जितिया में सप्तमी यानी नहाय-खाय के दिन से ही नियमों का पालन शुरू कर दिया जाता है. इस व्रत को शुरू करने से पहले अलग-अलग क्षेत्रों में खान-पान अपनी क्षेत्रीय परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि इन चीजों के सेवन से व्रत शुभ और सफल होता है. संतान की खुशहाली और उसकी लंबी कामना की लिए जितिया का व्रत किया जाता है. उत्तर प्रदेश, बिहार के मिथिलांचल सहित, पूर्वांचल और नेपाल में काफी लोग इस व्रत को करते हैं.जितिया व्रत से एक दिन पहले नहाय खाय के दिन मछली खाने की परंपरा है. मछली खाना वैसे तो पूजा-पाठ के दौरान मांसाहार को वर्जित माना गया है, लेकिन बिहार के कई क्षेत्रों में, जैसे कि मिथिलांचल में जितिया व्रत के उपवास की शुरुआत मछली खाकर की जाती है ।
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