भिंड, 25 अगस्त। भिंड के दो दर्जन गांव के ग्रामीणों को हर साल अपना घर छोड़ना पड़ जाता है। अपनी घर गृहस्ती को सिर पर लादकर इन ग्रामीणों को बीहड़ों में डेरा जमाना पड़ता है। हर साल खुले आसमान के नीचे और जंगली जीव जंतुओं के बीच ग्रामीणों की रहना मजबूरी बन गई है। न चाहते हुए भी घरों को छोड़ना इनके लिए बेहद जरूरी हो जाता है क्योंकि घरों से ज्यादा महत्वपूर्ण इन लोगों की जान है।