तीन दिन से नौजवानों के गुस्से ने, उनके आक्रोश ने सड़कों को अग्निपथ में बदल दिया है। राज्य दर राज्य...शहर दर शहर अग्निपथ पर अग्नि बरस रही है। जगह जगह ट्रेन में आग लगाई गई। करोड़ों की बोगियां धू धूकर जल उठीं। नौजवानों के आक्रोश की चिंगारी धधक रही है। जो नौजवान सेना में भर्ती होने का सपना अपनी आंखों में संजोए हुए थे, उन आंखों से आक्रोश की चिंगारी निकल रही हैं। विरोध करने वाले नौजवानों का एक ही प्रश्न है और वो उनका यक्ष प्रश्न है कि चार साल की अस्थायी नौकरी करने के बाद वो करेंगे क्या। इस सवाल के जवाब में तीन दिन से देश जल रहा है। सरकार और सेना नौजवानों को समझाने की कोशिश कर रही है लेकिन नौजवानों के तेवर देखकर लगता नहीं कि वो जल्द शांत होने वाले हैं। तो सवाल है कि ये आग कब बुझेगी।