इस हफ्ते टिप्पणी में डंकापति की वापसी. मनहूसियत का धुंधलका हस्तिनापुर के ऊपर छाया हुआ था. जनता को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, सरकार नदी की धुलाई में लगी हुई थी. दरबार का माहौल भी धुंध की चपेट में था. इस सबके बीच धृतराष्ट्र और संजय के बीच कुछ दिलचस्प संवाद हुआ.
जैसा चल रहा है, वैसा ही चलता रहा तो बहुत जल्द त्रिपुरा पुलिस उत्तर प्रदेश पुलिस को पीछे छोड़ देगी. ताजा मामला यह है कि #TripuraPolice ने एचडब्ल्यू नेटवर्क के दो पत्रकारों समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को गिरफ्तार कर लिया. बाद में दोनों को जमानत दे दी गई. पुलिस अब तक दोनों के खिलाफ कोई मजबूत केस या सबूत नहीं दिखा सकी है.
#HW और तमाम मीडिया के संगठनों ने इस बाबत बयान जारी कर अपना विरोध दर्ज करवाया है. लेकिन सिर्फ इतने भर से क्या त्रिपुरा पुलिस उत्तर प्रदेश वाले भाइयों से आगे निकल सकती है. थोड़ा ठहरिए. उन्होंने और भी बहुत कुछ किया है. पिछले हफ्ते त्रिपुरा में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंदुवादी संगठनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई और एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई. इस घटना के बारे में ट्विटर पर लिखने वाले 102 सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और पत्रकारों के खिलाफ त्रिपुरा पुलिस ने सीधे #UAPA के तहत नोटिस जारी कर दिया. जो कानून दुर्लभ स्थितियों में, दुर्लभ अपराधों के लिए इस्तेमाल होता था उसे मनमाने ढंग से, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओ और वकीलों को निपटाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
हफ्ते की रिपोर्ट: https://www.youtube.com/watch?v=OY8D5W-w7ks&t=11s
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