पिछले हफ़्ते में देश से लेकर विदेश तक कई ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं जो अपने-अपने स्तर पर महत्वपूर्ण होने के कारण चर्चा का विषय रहीं. बीते दिनों पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने फैसला सुनाया है. बीते लोकसभा चुनाव से पहले शुरू हुए 'तिरंगा टीवी' के बंद हो जाने के कारण वहां के कर्मचारियों पर बेरोज़गारी का संकट गहरा गया है. तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भाषण चोरी करने के झूठे आरोप को लेकर ज़ी टीवी के एडिटर इन चीफ़ सुधीर चौधरी पर मानहानि का मुकदमा दायर किया है. हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा द्वारा एनआईए बिल पारित किया गया. एक मामले के संबंध में अपना फैसला सुनाते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि अब कोर्ट में आने वाले व्यक्ति को जज के नाम के आगे 'मे लॉर्ड' जैसे शब्दों का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं होगी. इसके अलावा, एक अन्य ख़बर असम से आयी जहां स्थानीय भाषा के 10 कवियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गयी है.
उपरोक्त सभी मसलों पर न्यूज़लॉन्ड्री के खास पॉडकास्ट प्रोग्राम 'एनएल चर्चा' में 3 खास मेहमानों के साथ चर्चा की गयी. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया. कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी, न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन और लेखक व वरिष्ठ पत्रकार अनिल यादव बतौर पैनलिस्ट मौजूद रहे.
चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल ने कहा कि "अंतरराष्ट्रीय कोर्ट द्वारा कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी गयी है. कोर्ट द्वारा उन्हें काउंसलर मुहैया कराने का आदेश दिया गया है. दूसरी ओर पाकिस्तान द्वारा कहा जा रहा है कि चूंकि कोर्ट ने उन्हें उनके नियमों के अनुसार कार्रवाई करने को कहा है, इसलिए भारत की अपेक्षा अनुसार वह उनकी रिहाई करने को बाध्य नहीं है. तो ऐसे में देखा जाये तो क्या ये दोनों में से किसी पक्ष की जीत है, या फिर न्याय के तहत देखा जाये तो कुलभूषण जाधव का जो फांसी का फैसला था वह टल गया है और यह एक राहत की बात है?"
इस पर बात रखते हुए हर्षवर्धन त्रिपाठी कहते हैं कि "मुझे लगता है कि यह कुलभूषण जाधव के लिए ही बड़ी जीत है. दिक्कत यह है कि जब देश में ही हिंदू और मुसलमान की एक लाइन खिंच जाती है, तो जब मसला भारत और पाकिस्तान का होता है तो एक मोटी लाइ?