इस हफ़्ते की चर्चा में सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की बाबत सुप्रीम कोर्ट के ही वकील एम एल शर्मा द्वारा कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर लगाये गये सीजेआई को साजिश के तहत फंसाने के आरोप, सेना के पर्वतारोही दल द्वारा ‘येती’ नामक मिथकीय जीव (हिम मानव) व उसके पदचिह्नों को देखने के दावे, आतंकी वारदात से निपटने के क्रम में श्रीलंका में सरकार द्वारा बुर्क़ा पहनने पर लगाये गये प्रतिबंध, देश के सियासी माहौल में प्रधानमंत्री का बंगाल के संदर्भ में बयान, राहुल गांधी की नागरिकता का सवाल व अन्य चुनावी उठा-पटक और अज़हर मसूद को ‘ग्लोबल टेररिस्ट’ घोषित किये जाने को चर्चा के विषय के तौर पर लिया गया.
चर्चा में इस बार पूर्व पत्रकार व कम्युनिकेशन एक्सपर्ट दिवाकर आनंद ने शिरकत की. साथ ही लेखक-पत्रकार अनिल यादव व न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्द्धन भी चर्चा में शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
बीते बुधवार को संयुक्त राष्ट्र ने अज़हर मसूद को ‘वैश्विक आतंकी’ घोषित कर दिया. इसके साथ ही जहां एक तरफ़ पिछले कुछ सालों में विकसित हुई परंपरा के तहत हर सकारात्मक वाकये की तरह इसे भी जहां ‘मोदी है तो मुमकिन है’ से जोड़ दिया गया, वहीं दूसरी तरफ़ मज़े कि बात है कि अमेरिका ने इसे अमेरिकी कूटनीति की जीत क़रार दिया. इसे मसले से चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल ने कहा कि अज़हर मसूद वही आतंकी है, जिसे भारत सरकार ने कंधार हाईजैकिंग मामले में तमाम यात्रियों की हिफाज़त और रिहाई के बदले में छोड़ा था. मुबंई के 26/11 के आतंकी हमले के बाद से ही ये कोशिश चल रही थी कि अज़हर मसूद को आतंकियों की सूची में डाला जाये. चीन लगातार इसके विरोध में खड़ा रहा. लेकिन अंततः मज़दूर दिवस के दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा अज़हर मसूद को वैश्विक आतंकी मान लिया गया. यह भारत सरकार के लिये कितना सिंबॉलिक है, कितनी बड़ी कूटनीतिक सफलता है?
जवाब देते हुए आनंद ने कहा- “सफलता के लिहाज़ से कहें तो इससे निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि आतंकी वारदातों में कमी आयेगी ही. अज़हर मसूद के ज़िंदा होने पर भी लोगों को शक है. अगर जीवित है तो उसकी गतिविधियों में कमी आ जायेगी, पूरी तरह ऐसा भी नहीं कहा जा ?