इस हफ्ते की चर्चा सामान्य श्रेणी को 10% आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले पर केंद्रित रही है. साथ ही सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहाल करना फिर सिलेक्ट कमेटी द्वारा उनका ट्रांसफर करना, राहुल गांधी का रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण को लेकर दिया गया महिला विरोधी बयान और साथ ही क्रिकेटर हार्दिक पंड्या और केएल राहुल का करण जौहर के साथ विवादित शो इस बार की चर्चा का केंद्र रहे.
चर्चा में इस बार दो मेहमान जुड़े. जया निगम जो कि एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, मेहमान पत्रकार के रूप में शामिल हुई, साथ ही स्वतंत्र पत्रकार सिद्धांत मोहन भी इस बार चर्चा का हिस्सा रहे. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकर आनंद वर्धन भी चर्चा में शामिल रहे. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल चौरासिया ने आनंद से सवाल किया, “सामान्य श्रेणी को 10 फीसदी रिज़र्वेशन के लिए संविधान संशोधन की जरूरत थी जो कि महज 48 घंटे में संसद के दोनों सदनों में पास हो गया. किसी भी बिल को पास करने की एक लंबी चौड़ी प्रक्रिया होती है, घंटों बहस चलती है उस पर विचार विमर्श किया जाता है, ज्यादा से ज्यादा लोगों के विचार उसमें शामिल होते हैं. लेकिन यहां एक हड़बड़ी नजर आती है. संविधान संशोधन में इतनी जल्दबाजी ठीक है?”
इसका जवाब देते हुए आनंद ने कहा, “आरक्षण पर अंबेडकर ने कहा था कि आरक्षण तात्कालिक है और इसका प्रतिशत कम ही होना चाहिए. कुछ राज्यों में इसे बढ़ाया गया जैसे तमिलनाडु में जनसंख्या के आधार पर आरक्षण 50% से बढ़ाकर 67% कर दिया गया, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा 10% आरक्षण बढ़ाना पैंडोरा बॉक्स खुलने जैसा है. अब केंद्र सरकार ने एक शुरुआत कर दी है. इससे बाकी समुदायों में भी आरक्षण पाने की होड़ लग सकती है. इसके अलावा ऐसा नहीं है कि आरक्षण मिलने से नौकरी मिल जाएगी. 10% आरक्षण के लिए जो क्राइटेरिया तय किया गया है उसके हिसाब से भारत की 95% आबादी आरक्षण के लिए योग्य है. अब उसमें तो प्रतिस्पर्धा बनी ही रहेगी यह सवर्णों के लिए खुद बहुत कंफ्यूज करने वाली स्थिति है.”
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए अतुल ने सिद्धांत से सवाल किया, “आरक्षण का लक्ष्य था सामाजिक, शैक्षिक समानता लाना. जो चीजें जातियों से तय होती हैं उसको ख?