बीते दिनों परधानजी फिर से रो दिए. अच्छा खासा मौसम था. पहली बार मई के तपते महीने में पूरे देश में बारिश हो रही थी, जनता राहत की सांस ले रही थी, लेकिन परधानजी रो दिए. उनका रोना था कि दुनिया भर के मगरमच्छों, घड़ियालों की शामत आ गई. सोशल मीडिया के जीव जंतु तो लगे ही, लगे हाथ #Media वालों ने भी मगर घड़ियालों को अपने कीचड़ में घसीट लिया.
बीते सात साल में परधानजी आठ बार रो चुके हैं. यानि औसतन एक साल में वो एक से सवा बार रोते हैं. बरवक्त रोने के मामले में सिर्फ एक ही नेता ही उनसे आगे हैं, आडवाणीजी. इस बार परधानजी के रोने को लेकर जनता इतनी आश्वस्त थी कि लगभग समूचा जम्बुद्वीप कई दिनों से उम्मीद लगाकर बैठा था.
बीते हफ्ते #Israel और #Palestine के बीच हुए युद्ध ने एक बार फिर से खबरिया चैनलों के दिवालिएपन की कलई खोलकर रख दी. चैनल दर चैनल इजराइल के समर्थन में कसीदे काढ़े गए. सोशल मीडिया भी अछूता नहीं रहा. यहां भी इंडिया विद इजराइल का हैशटैग ट्रेंड हुआ. अनपढ़ भक्त और अधपढ़ आईटी सेल के कारिंदों ने इजराइली प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू को ट्रोल किया क्योंकि उन्होंने अपने समर्थक देशों वाले एक ट्वीट में भारत को अपना समर्थक ही नहीं माना.
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