यह टिप्पणी जब आपके सामने होगी तब तक #Delhi की सीमाओं पर किसानों का डेरा कायम है. किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध बना हुआ है. सरकार ने तीनों #FarmBills में कुछ बदलाव का प्रस्ताव दिया था लेकिन किसानों की मांग है कि इन कानूनों को रद्द किया जाय. अब किसानों ने अपनी लड़ाई अंबानी और अडानी के उत्पादों के बहिष्कार की तरफ मोड़ दी है.
इस दौरान किसान नेताओं के मन में सरकार की नीयत को लेकर गहरा शक पैदा हो गया है. किसानों का मानना है कि सरकार उनके बीच दुविधा और मतभेद पैदा करना चाहती है. दरअसल हफ्ते भर पहले मंगलवार की शाम गृहमंत्री #AmitShah ने आनन-फानन में 13 किसान नेताओं को अलग से मुलाकात के लिए बुला लिया. इससे बाकी किसान संगठनों में नाराजगी और संदेह पैदा हो गया. अमित शाह ने यह बैठक 9 दिसंबर को होने वाली अंतिम दौर की बैठक से ठीक एक दिन पहले बुलायी थी. इसे लेकर किसान सशंकित हो उठे. किसानों ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि जब एक दिन बाद सभी संगठनों के साथ सरकार की आधिकारिक बैठक होनी थी तब एक दिन पहले कुछेक चुनिंदा नेताओं के साथ अलग से अनौपचारिक मुलाकात का क्या मायने है. सरकार ऐसा करके बाकी किसान संगठनों में दरार डालने और भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रही है.
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