इस हफ्ते की चर्चा कांग्रेस द्वारा प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाने पर केंद्रित रही. 2019 लोकसभा चुनावों से ठीक पहले प्रियंका गांधी को मैदान में उतारने के क्या अर्थ है और इसके क्या परिणाम संभावित हैं, इन सब विषयों पर चर्चा हुई साथ ही कोलकाता में ममता बनर्जी ने एक बड़ी विपक्ष की रैली आयोजित की जिसमें करीब 20 बड़े राजनैतिक दलों के नेता और उनके प्रतिनिधि शामिल हुए. इस पर बीजेपी की तरफ से एक प्रतिक्रिया आई कि यह भ्रष्ट और नामदार लोगो का गठबंधन है. क्या भाजपा के अंदर कोई बेचैनी पैदा हुई है, इस पर भी पैनल ने बहस की. बीते हफ्ते एक और बड़े घटनाक्रम के तहत सईद शुज़ा नाम के साइबर एक्सपर्ट ने लंदन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दावा किया कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है और 2014 के बाद से देश में हुए सारे चुनाव में ईवीएम के जरिए घपला किया गया है. ईवीएम में गड़बड़ी के ज़रिए चुनावी नतीजों को प्रभावित किया गया है. हालांकि शुजा के दावे में तथ्य कम और खामियां बहुत हैं. जो कि हमारी चर्चा का विषय रहा. साथ ही ऑक्सफेम के वह रिपोर्ट भी हमारी चर्चा में शामिल हुई जिसमें देश के 9 बड़े उद्योगपतियों के पास देश की आधी आबादी के बराबर संपत्ति है.
चर्चा में इस बार आउटलुक पत्रिका के असिस्टेंट एडिटर ओशिनॉर मजूमदार पहली बार चर्चा का हिस्सा बने, इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकर आनंद वर्धन भी चर्चा में शामिल हुए. चर्चा का संचालन हमेशा की तरह न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
शुरुआत प्रियंका गांधी को कांग्रेस पार्टी द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने के निर्णय से हुई. अतुल ने आनंद वर्धन से पूछा, “आनंद एक सवाभाविक सा सवाल पैदा होता है की राहुल गांधी ने हाल ही में एक अच्छा परफॉर्मेंस दिया था. तीन राज्यों में कांग्रेस पार्टी जीतने में सफल रही. सबसे बड़ा सन्देश था की भाजपा का स्कोर 0-5 रहा. तो ऐसी स्थिति में आखिरी पल में प्रियंका गांधी को पार्टी में लाने के निर्णय को कैसे देखते है क्यों इसकी नौबत आन पड़ी कांग्रेस को?”
इसका जवाब देते हुए आनंद ने कहा, “इसको कई नज़रिए से देखा जा सकता है. मैं इसमें नहीं जाना चाहूंगा. सम्भव है की यह एक पारिवारिक निर्णय हो, डाइनिंग टेबल निर्णय हो और कांग्रेस के लोग वहां बैठ कर पत्रका?