सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की खंडपीठ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट में कई बदलाव कर दिया है. इसके बाद से दलितों में गुस्सा देखने को मिल रहा है. लोगों का मानना है कि एक्ट में शामिल प्रावधानों को खत्म करने से इसका प्रभाव खत्म हो जाएगा और दलितों के ऊपर होने वाले अगड़ी जातियों के अत्याचार बढ़ जाएंगे.
इस फैसले के विरोध में दलितों ने दो अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था. बंद के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी हुई. सरकार ने दबाव में आकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की और कोर्ट के फैसले पर स्टे की अपील की. लेकिन कोर्ट ने इस पर स्टे देने से इनकार कर दिया. यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है. अब यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है. किन परिस्थितियों में, किस उद्देश्य से इस एक्ट को लागू किया गया था और इसको बदलाव करने के क्या परिणाम या दुष्परिणाम हो सकते हैं?