नोएडा, 18 अक्टूबर: पिछले साल चीन ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में धोखे से निहत्थे भारतीय जवानों पर हमला बोल दिया था, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना में ढेर हुए पीएलए जवानों की संख्या कहीं ज्यादा थी, जो आजतक शी जिनपिंग की सरकार ने नहीं बताई है। बाद में पैंगोंग लेक के उत्तरी किनारे पर भी चीनी सैनिक परंपरागत हथियारों के साथ आए थे और गलवान में मिली हार का बदला लेने की फिराक में थे। लेकिन, भारतीय सैनिकों के पास उस तरह के पारंपरिक हथियार नहीं थे, फिर भी उन्होंने चीन के जवानों का बखूबी मुकाबला किया और चीन पीछे हटने को मजबूर हुआ। लेकिन, अब भारतीय सेना को भी चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार किया जा रहा है। अब जब कभी भी आमने-सामने की भिड़ंत की नौबत आएगी तो भारतीय जवान भी बिना किसी घातक हथियार का इस्तेमाल किए पीएलए को छट्ठी का दूध याद दिला सकते हैं।