दिलीप दवे बाड़मेर. थार की धरा बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर में कभी खादी छह हजार घरों में रोजगार का जरिया था लेकिन अब सौ से भी कम लोग है जो चरखा चला रहा है वह भी मात्र औपचारिकता के रूप में। खादी के प्रति बेरुखी का ही आलम है आधुनिक चरखे भी न तो रोजगार दिलवा पा रहे हैं और ना ही भ