रूपा अपने पत्ती नामदेव और बेटी संध्या के साथ अजमेर में रहती थी पत्ती की नौकरी भी ठीक थी दो कमरों का अपना मकान भी था रूपा ने संध्या को भी अच्छे स्कूल में डाल रखा था नामदेव भी रूपा और संध्या की खुसी का ख्याल रखता था सबकुछ ठीक चल रहा था पर अचानक मानो रूपा की खुशियों को किसी की और अधिक पूरी कहानी पढ़ने के लिए वीडियो लिंक पे क्लिक करे...
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