अगर सपा में आते जितिन प्रसाद तो होता बड़ा सियासी उलटफेर II क्या अखिलेश यादव ने गंवा दिया बड़ा मौका ?

2021-06-10 3


अगर सपा में शामिल होते जितिन प्रसाद !
तो बीजेपी के लिए हो जातीं खड़ी मुश्किलें !
जितिन के सपा में आने से अखिलेश होते मजबूत !
क्या जितिन को साथ लाने में फेल हुए अखिलेश यादव ?
क्या एक बड़ा वोट बैंक अखिलेश के हाथ से फिसल गया ?
सपा में आने से जितिन प्रसाद को भी मिलता बहुत फायदा !
देखिए क्या कहते हैं जितिन प्रसाद के दल बदल के समीकरण ?

उत्तर प्रदेश की सियासत में कल एक बड़ा घटनाक्रम हुआ और इस घटनाक्रम से एक बार फिर सियाली जानकारों की पैनी नजर सियासी उलटफेर और नफा नुकसान के आंकलन में लगी है…सियासी जानकारों की माने तो जितिन प्रसाद भले ही अपना फायदा देखकर बीजेपी में शामिल हुए हैं लेकिन हकीकत में जितिन ने अपना तो नुकसान किया ही है साथ ही कांग्रेस का भी नुकसान किया है…अगर सियासी फायदे के तौर पर जितिन सपा के साथ आ जाते तो यूपी में जितिन एक नया और मजबूत ब्राह्मण नेता बनने का माद्दा रखते थे…बताएंगे आपको कि जितिन ने बीजेपी में शामिल होकर अपना नुकसान कैसे किया है लेकिन पहले बात करते हैं कि अगर जितिन प्रसाद सपा के साथ आते तो फिर क्या फायदा सपा को मिल सकता था…और कैसे अखिलेश यादव बीजेपी के खिलाफ मजबूती से आगे बढ़ते…दरअसल उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण वोटर्स में इन दिनो ठाकुरवाद वाली राजनीति को लेकर योगी सरकार से नाराजगी चल रही है…और इस नाराजगी को भुनाने के लिए अखिलेश यादव सक्रिय हैं और पंडितो को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं…वहीं जितिन प्रसाद कानपुर के बिकरू कांड से ही प्रदेश में ब्राह्मणों को एक जुट करने में लगे थे…और ब्राह्मणों का बड़ा धड़ा उनके साथ जुड़ भी रहा था…बिकरू कांड के बाद जितिन प्रसाद ने ब्राह्मण चेतना परिषद बनाकर खुद को ब्राह्मण चेहरे के रूप में ढालने की कोशिश की है और काफी लोकप्रिय हुए…ऐसे में बीजेपी को अपना वोटबैंक खिसकता दिख रहा था और इसीलिए जितिन को बीजेपी साथ लाने के लिए लगातार कोशिशें कर रही थी…और यहीं पर अखिलेश यादव से भी चूक हो गई…अगर अखिलेश यादव जितिन प्रसाद से संपर्क साधते और उनको साथ आने के साथ ही ब्राह्मण चेतना परिषद को आगे बढ़ाने का ऑफर देते तो जितिन शायद सपा में आ सकते थे और अपने साथ एक बड़ा वोट बैंक भी ला सकते थे…लेकिन अखिलेश यादव की दरदर्शिता यहां गच्चा खा गई और बीजेपी ने बाजी मार ली…बीजेपी ने एक तीर से तीन निशाने लगाए हैं…वहीं जो जितिन प्रसाद यूपी में बीजेपी को ब्राह्मण विरोधी बताकर खुद को ब्राह्मणों का नेता बनाने में लगे थे और उनके साथ जो पंडित वोटर्स जुड़े थे वो अब निराश होते दिख रहे हैं और उनका अब बंदरबाट होता दिख रहा क्योंकि कुछ सपा तो कुछ कांग्रेस और बीएसपी के अलावा बीजेपी के साथ भी दिखेंगे…जितिन प्रसाद ने बीजेपी का विरोध कर जिन्हे इकट्टा किया था उनको बीजेपी में शामिल होने के बाद ठगा सा महसूस करवा दिया है…और इससे बीजेपी को फायदा मिले न मिले लेकिन जितिन प्रसाद ने अपना नुकसान किया है…यही जितिन प्रसाद अगर सपा के साथ आते तो फिर उनका कद भी बढ़ता और उनके संगठन को भी मजबूती मिलती…लेकिन राजनीतिक समीकरणों और परिस्थितियों में उनके लिए इस पहचान को बहुत आगे ले जाना अब आसान नहीं दिखता है…ये जरूर है कि उनके रूप में बीजेपी को रुहेलखंड खासतौर से तराई क्षेत्र में एक बड़ा चेहरा जरूर मिल गया है…बावजूद इसके कि इस इलाके में उनकी पकड़ और पहुंच अपने पिता जितनी मजबूत नहीं रह गई है…बिकरू कांड के बाद ब्राह्मणों की लामबंदी और प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा करने की मुहिम चलाने वाले जितिन उस पहचान को अब कितना परवान चढ़ा पाएंगे, ये समय बताएगा लेकिन बीजेपी

Free Traffic Exchange

Videos similaires