सीएए के आंदोलन के बाद जेल भेजे गए अब्दुल तौफ़ीक़ 09 महीने के बाद ज़मानत पर बाहर आए हैं।उनकी रिहाई का मुक़दमा लड़ने में उनका परिवार क़र्ज़े में डूब गया है।उनके घर में बिजली का कनेक्शन तक नहीं है।तौफ़ीक़ कहना है की अब वह विदेश जा कर कामना चाहते हैं, ताकि उनके परिवार का क़र्ज़ा ख़त्म हो सके।परिवार का कहना है की कोर्ट से स्टे होने के बावजूद घर की कुर्क़ी के नोटिस आ रहे हैं।तौफ़ीक़ का कहना है बेक़सूर नौजवानों को जेल भेज कर पुलिस उनके भविष्य से खेल रही है।क्यूँकि अपराधियों के बीच रहने से उन (बेक़सूर-नौजवानों) पर ग़लत असर पड़ता है।