अ सूटेबल ब्वॉय हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई 6 एपिसोड की एक बीबीसी टेलीविज़न ड्रामा मिनिसीरिज़ है, जिसे डायरेक्ट किया है, मीरा नायर ने और इसकी पटकथा लिखी है एंड्रयू डेविएस ने। ये सीरिज़ इसी नाम से 1993 में आए विक्रम सेठ के उपन्यास पर आधारित है, जिसका कथानक 1951-52 के उस समय के आस-पास का है। विक्रम सेठ के पंद्रह सौ पन्नों में लिखे विशाल उपन्यास को महज़ छह एपिसोड में समेट दिया गया है। बावजूद इसके उस दौर की पूरी झलक इस सीरिज़ में देखने का मिल जाती है। अगर कहानी की बात करें यहां जिसके लिए सूटेबल ब्वॉय की तलाश हो रही है, वह है लता मेहरा। कहानी की केंद्रबिंदू तो लता मेहरा ही है, लेकिन इसके इर्द-गिर्द धूमती है चार परिवारों, यानी मेहरा, कपूर, ख़ान और चटर्जी की बात, जिससे जुड़े हैं छोटे-बड़े मिलाकर लगभग सौ के करीब किरदार। लता के भावी हमसफ़र के तौर पर तीन पुरुष उसके जीवन में आते हैं, कबीर दुर्रानी, अमित चटर्जी और हरीश खन्ना। इन किरदारों के कई शेड हैं। अब सवाल ये है कि इनमें से लता की वरमाला किसके गले में, कब, क्यों और कैसे पड़ेगी।
अ सूटेबल ब्वॉय की कहानी बिल्कुल ही अधूरी रह जाएगी, अगर हम मान और सईदा बेगम की बात न करें तो। मान रेवेन्यू मिनिस्टर महेश कपूर का छोटा बेटा है और सईदा बेग़म एक बेहतरीन गायिका होने के साथ-साथ एक जुझारू और संवेदनशील महिला भी है। यहां मान और उससे उम्र में अच्छी-ख़ासी बड़ी सईदा की प्रेम कहानी के साथ-साथ कई और भी कहानियां करवटें लेती हैं, जिसमें हम उस वक्त की झलक देख पाते हैं, जब इस देश का इतिहास ही करवटें बदल रहा था। सियासत का चेहरा बदल रहा था। सांप्रदायिकता, धर्म और जाति की खाइयों की गहराई का अंदाज़ा ये वक्त आसानी से करा देता है। राजनीति का चेहरा भी बहुत अजनबी नहीं लगता। लेकिन हम चाहेंगे कि इन विविधता से भरे रंगों को आप ख़ुद ये सीरिज़ देखकर ही पहचानें। मुख्य किरदारों में हैं, तान्या मानिकताला, ईशान खट्टर, तब्बू, माहिरा कक्कड़, राम कपूर, रसिका दुग्गल, दानिश रज़वी, विजय वर्मा, नमित दास, शहाना गोस्वामी, मिखाइल सेन, आमिर बशीर, विवान शाह और मनोज पाहवा वगैरह। इस सीरिज़ का संगीत भी काफ़ी प्रभावशाली है, ख़ासतौर पर सईदा बेग़म, यानी तब्बू पर फिल्माई गई दाग़ और ग़ालिब की ग़ज़लें, जिसे आवाज़ दी है कविता सेठ ने। कुल मिल?