दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में 34 साल बाद कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई है. लेकिन इंसाफ़ एक ही परिवार को मिला है। क्यों न्याय के लिये असाधारण कोशिश करनी पड़ती है और एक लोकतंत्र में न्याय मिलना सामान्य प्रक्रिया क्यों नहीं हैं. क्या हम क़ातिलों के साथ रहने के आदी हो गये हैं? अपूर्वानंद की पहली मास्टर क्लास.