कोरोना से अभिभावक परेशान, ऐसे समय में फीस कहां से लाया अभिभावकों ने प्रशासन से लगाई गुहार,स्कूल की दादागिरी पर लगाएं अंकुश पैसा नहीं तो रीजल्ट नहीं, प्रमोषन नहीं - राज्यमंत्री के ओदषों को भी नहीं मानता स्कूल प्रबंधन - कलेक्टर को भी पहुंचा षिकायती आवेदन शाजापुर। बच्चों का भविष्य, उनके अरमान और उनके सपने। इन सबके पैसों के आगे कोई मायने नहीं। पैसा दो तो सब कुछ है, नहीं तो एक कलम चलाने की देर है आप फेल और पैसा दिया तो आप प्रमोट। ऐसा हम नहीं कह रहे। बल्कि पिछले 50 सालों से शहरवासियों की छाती पर मूंग दल रहे एमजी कान्वेंट स्कूल प्रबंधन की यही पाॅलिसी है। जो शहर के अभिभावकों से पैसे लेने के लिए गिरी से गिरी हरकत करने को भी राजी है। एक दिन पूर्व अभिभावकों से चैक लगवाने की हिमाकत करने वाले इस स्कूल के एक षिक्षक की एक और करतूत सामने आई है। जिसमें यह पैसे की मांग करते हुए बच्चे को पास और पैसे न दिए जाने पर उनका एक साल तक खराब करने पर आमदा है।