'बुरा न मानो' नहीं, इस बार 'बुरा मानो' होली है #बुरामानो #buramano

2021-03-28 34

होली रंगों, प्यार, सम्मान व खुशियों का त्योहार है, लेकिन समय के साथ कुछ लोगों के कारण यह त्योहार कलंकित होता जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में होली के जश्न के दौरान शोहदे अनजान लड़कियों व महिलाओं पर रंग लगाते व उन्हें तंग करते और 'बुरा न मानो होली है' कहकर खुद को सही अथवा निर्दोष ठहरा देते। 'बुरा न मानो होली है', न जाने किसकी यह उपज है, लेकिन आज इसे बदलने की जरूरत है। पत्रिका ने एक मुहिम के जरिए इसे बदलने की कोशिश की है और कहा है 'बुरा मानो, होली है'।इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लेडी ब्रिगेड को जागरूक किया व उनसे राय भी ली। लखनऊ की छात्रा निहारिका श्रीवास्तव ने बताया कि 'बुरा मानो होली है' समय की जरूरत है...
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छात्रा निहारिका सिंह की राय कुछ अलग नहीं थी....

कुछ लड़कियों का मानना है कि हम आवाज नहीं उठाते, इसलिए इन शोहदों के हौसले बुलंद हो जाते हैं।

लेकिन क्या केवल अंजान या बाहरी पुरुषों से ही लड़कियों को खतरा है। समाजिक संस्थान 'समर्थ नारी समर्थ भारत' की अध्यक्ष मीरा सिन्हा का मानना है कि घर के अंदर के लोग भी इसमें कम सहभागी नहीं है....
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'बुरा मानो होली है' समय की जरूरत है। इससे उन शोहदों को और उन सभी लोगों को समझने की जरूरत है, जो नेश की हालत में इस पवित्र त्योहार को अपने कृत्यों से कलंकित कर देते हैं। त्योहार की मार्यादा को तार-तार कर देते हैं। तो इस बार 'बुरा मानो होली है'।

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