- रियासतकालीन सांस्कृतिक दर्जा प्राप्त है मूसल गेर
- भैरव शृंगार कर हाथों में मूसल लेकर नाचते है सगरवंशी माली समाज के लोग
-300 परिवारों की सहभागिता से शुरू हुई थी गेर
-लाडू बा गेर, हामैळा गेर, सगरवंशी माली समाज की गेर, भैरव गेर सहित कई नामों से प्रचलित है मूसल गेर