माँ को गाली बर्दाश्त करना_ ये मजबूरी है या सहनसीलता_ मोदी जी की मजबूरी समझ से बाहर है..__(360P)
2021-03-05
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बहू कहां मर गई अंदर से आवाज- जिंदा हूं माँ जी। तो फिर मेरी चाय क्यूं अभी तक नहीं आई, कब से पूजा करके बैठी हूं ला रही हूं माँ जी, बहू चाय के साथ, भजिया भी ले आयी, सास ने कहा तेल का खिलाकर क्या मरोगी बहू ने कहा- ठीक है
समझ गया…समझ गया… बात जब गुरु की बेटी की है, अब तो आप अंगार पे दौड़ने को कहोगे दौड़ जायेंगे कोच सर जी..
प्यार के लिए मार पीट और गाली-गलौज बर्दाश्त करना ये कहाँ तक उचित है???
जिसने भी बनाया है उसको आभार भारत माँ का लाल अपनी भारत माता की गोद में समा जाने की अनंत यात्रा पे निकल चुका है, आपने इस मातृभूमि के लिए जो किया है, उसका भारतवर्ष और यहां के नागरिक सदैव ऋणी रहेंगे परमपूज्य अटल जी!! धन्यवाद कीजिये उनको अगर गांवों में पक्की
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