आज पड़ताल त्रेतायुग की उस पहेली की, जिसमें मां सीता की प्रतीक्षा है, लक्ष्मण का वचन है और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की प्रतिज्ञा है. आज भी वहां मिलते हैं लव-कुश के बालपन के निशान.